Thursday, 14 June 2012

सूर्य किरणों द्वारा अग्नि वर्षा कब तक?

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कूलर की छत पे ठंड का एहसास करता पंछी

इस समय ज्येष्ट माह का उत्तराई तथा जून माह का प्रथमार्ध चल रहा है | समूचे भारत विशेषकर मध्य उत्तर एवं पश्चिम में गर्मी अपने चरम पे पहुँच गयी है | हफ़्तों से ताप ४४- ४९ डिग्री सेंटीग्रेट के बीच झूल रहा है | मानव तो मानव पशु पक्षी एवम पेड़ पौधे तक आग बरसती सूर्य कि किरणों से झुलस रहे हैं | गर्मी से अभी रहत नहीं मिलनी है |मैंने पहले भी लिखा था कि १० मई से ५ जून तक गर्मी कि तीव्रता एवं उग्रता बढती ही जाएगी तथा ताप ४६- ५० डिग्री सेंटीग्रेट पहुँच जाएगा | जून में आंधियों, बवंडरों ,तूफ़ान की अधिकता रहेगी | इन सब का क्या कारण है?

 

इस वर्ष सूर्य आकाशगंगा के परिक्रमापथ पर विशिष्ट बिंदु पर है जिससे ओजोन परत एवं ब्रहमांडइय किरणों कि तीव्रता एवं उग्रता बढ़ेगी| सूर्य कि सीढ़ी पड़ती किरणे भारतीय भूभाग ही नहीं अपितु अरब प्रायदीप सहारा, तिब्बत, नेपाल भूतन एवं भूमध्य सागरीय देशों एवं मध्य दक्षिणी यूरोप ,एवं मेक्सिको तबा के रख देगी| गर्मी कि उग्रता २१ जून तक यथावत रहेगी |जून के प्रथमार्थ में २-३ वर्षा एवं आंधियां गर्मी से रहत देगी| बाजार कि स्थिति भी डांवाडोल रहेगी |

 

झुलसाने वाली इस गर्मी के विश्वभर में तीन प्रमुख करण हैं जिनपर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है | यह कारण हैं भीषण प्रदूषण ,भूगर्भ का गिरता जल स्तर ,तथा वनों का विनाश | जल थल वायु, मृदा ,रेडियो एक्टिव अवन इलेक्ट्रानिक कचरा प्रदूषण ,प्लास्टिक एवं औधोगिक रसायनों के प्रदूषण के करण गर्मी असहनीय होती जा रही है |५० वर्ष में ही गिरता भूजल स्तर पाचों फिट नीचे भाग चुका है अत: धरती शुष्क होने से गर्मी और सर्दी दोनों अधिक पड़ रही है |पेड़ पौधों कि अन्धाधुन कटाई ने हरी भरी धरती को शुष्क ,उजाड और वीरान बना कर चयाराहित और गर्म कर दिया है |मौसम विज्ञानी,वैज्ञानिक चाहे कुछ भी कहें पर इस समय छायादार कमरे का ताप ४७-४८ डिग्री सेंटीग्रेड तथा छत  पे रखे थर्मामीटर  का ताप ६० डिग्री सेंटीग्रेड से ऊपर तक मैंने खुद नापा है |

मेरा तो यही कहना है कि इस वर्ष मानसून भी “सामान्य” न हों कर  असामान्य रहेगा | एक तिहाई भारत अकाल और सूखे का तो दो तिहाई भारत बाढ़ कि विभीषिका झेलेगा | तडित,झंझा,समुद्री लहरों ,प्रबल भूकंपो ,ज्वालामुखी विस्फोटों से वर्षा ऋतु में प्रबल हानि होगी|

अनुमान है कि अंदमान में ३१ ,केरल में २-५ जून तक ही मानसून आएगा | भारत में एक प्रबल भूकंप का योग है |रोहिणी से शुरू यह गर्मी २१ जून तक पड़ती रहेगी और तब तक उत्तेर भारत में मानसून प्रवेश कर जाएगा |यूँ तो गर्मी  का प्रकोप सितम्बर तक रहेगा लेकिन वर्षा के करण बीच बीच में काफी रहत मिलती रहेगी |

लेखक:

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Dr. Dileep Kumar Singh Juri Judge, Member Lok Adalat,DLSA, Astrologist,Astronomist,Jurist,Vastu and Gem Kundli Expert. Cell:९४१५६२३५८३

Tuesday, 12 June 2012

मेरे अपने शहर में बड़े लोग

मेरे अपने शहर में बड़े लोग : डॉ दिलीप सिंह

 

4_१९८० इ० में अपने गांव गैरवाह से जौनपुर नगर में बसने के साथ साथ मुझे पहला अंतर मिटटी और सुगंध में मिला| कुछ समय बाद ही प्रख्यात शहरी शख्सियतों के साथ किला घूमने का कार्यक्रम बना| एक बार जो किला गया तो आज तक वहाँ जाना अनवरत जारी है| शर्की काल में बना यह किला कई माने में बेजोड और कई रहस्यों को अपने में समेटे हुए है |तंत्र मंत्र , ज्योतिष, मौसम का गहन अह्येता होने के कारण नेने कई बार वास्तव में इन रहस्यों का साक्षात अनुभव घोर वर्षा, प्रचंड गर्मी, विकट ठण्ड में किया है | खण्डहर एवम टीले पर आदिगंगा गोमती के पवन तट पर बना यह किला जीर्ण शीर्ण होता जा रहा है और ढहता जा रहा है | पर किसी को इसकी चिंता नहीं है | कागजी कार्यवाही में तो सब कुछ ठीक बिलकुल ओ. के. है|

१९८०-१९८१ में यह किला काफी ठीक हालत में था |तब यहाँ कि भूल भुलैया खुली थी | वंही से एक सुरंग अंडे कि और जाती है जिसके बारे में कथाएँ हैं कि यह गोमती पार निकलती है और कुछ तो इसे दिल्ली के लालकिले से  जुडा मानते हैं|  १९८० में जब मुझे किला घूमने का अवसर प्राप्त हुआ तब से लेकर अब तक इस किले में एक से बढ़ कर एक नेता ,कलाकार,साहित्यकार, आमजन, नमाज़ी, चित्र विचित्र लोगों को देखते २२ वर्ष गुज़र गए |

सुबह एक साथ आप यहाँ आज भी दो कुंतल से आधा कुंतल तक के लोगों को भागते दौड़ते ,हांफते ,गिरते पड़ते ,कसरत व्यायाम करते ,प्राणायाम करते ,योग से लेकर भोग करते अपनी आँखों से यथार्थ में देख सकते हैं |जाकी रही भावना जैसी हरी मूरत देखि तिन तैसी “ यहाँ चरितार्थ होता है| प्रेमी युगल से वृद्ध युगल ,योगी से भोगी सभी इस विशाल दुर्ग में विधमान हैं|  यहाँ के सभी कर्मचारी प्रातः घुमक्कड (मार्निंग वाकर्स) के अभ्यस्त हैं | यहाँ आप अशोक सिंह से लेखर संजय अस्थाना, के. एस. परिहार से मोहम्मद अब्बास जैसों को मोर्निंगवाल्क करते देख सकते हैं |सबसे पुराने घुमक्कड़ से लेकर १ दिन वाले घुमक्कडो को भी यहाँ देखा जा सकता है |

मुख्य बात तो अभी बाकी है और वो यह कि नगर के विख्यात तमाम व्यक्तियों की कथनी और करनी का अंतर भी यही इसी किले में देखने को मिलता है |पहले पूर्ण स्वच्छ समीर भरा यह किला अब दिनों दिन कूड़ा कचरा और गंदगी से पटता जा रहा है और हमारे नगर के प्रसिद्ध लोग ही इसके जनक हैं |प्रेमी युगलों कि सक्रियता दिनों दिन यहाँ रोज वेलंटाइन डे या मधुयामिनी का भास् कराती है यदि आप ७ बजे के बाद तलाहने जाएँ | किले में भवनों के भीतर ही मलमूत्र त्याग कर हमारे शहरी लोग अनार ,नीबू , संतरा ,से मिश्रित जो सुगंध बिखेरते हैं उस से किले में लाल हरे नीले पीले सतरंगी चंपा, बेला चमेली कनेर गुडहल आदि कि खुशबु वैसे ही खो जाती है जैसे ब्रहमास्त्र में सरे अस्त्र खो जाते हैं | जम्दाग्निपुर,जवनपुर से जौनपुर कि गाथा देखने वाली गोमती नदी अब प्रदूषण से पटी सहमी सी दिखती है | इमामबाड़े के पास बड़े पेड़ के नीचे  एक नाग रोज बैठा मिलता है जो मूकदर्शक है इसका|

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Dr. Dileep Kumar Singh Juri Judge, Member Lok Adalat,DLSA, Astrologist,Astronomist,Jurist,Vastu and Gem Kundli Expert. Cell:९४१५६२३५८३

Sunday, 10 June 2012

वास्तव में हज़रत मुहम्मद साहब एक दिव्य प्रकाश पुंज हैं- डॉ दिलीप सिंह

alq2विश्व में एक से बढकर एक महापुरुष पैदा हुए हैं | भगवन श्री राम, कृष्ण, महावीर स्वामी,गौतम बुध , हज़रत मुहम्मद साहब,गुरु नानक, हज़रत ईसा मसीह, हज़रत मूसा ,कन्फयुशियास ,लाआत्स, ऐसे ही महापुरुष हैं | इसमें से ईसाई धर्म के प्रवर्तक हज़रत इसा मसीह ,इस्लाम धर्म के चलानेवाले हज़रत मुहम्मद साहब,सिख पंथ के गुरुनानक देव, बोद्ध एवं जैन धर्म के गौतम बुध एवं महावीर स्वामी का नाम आज के आधुनिक युग में अनुकरणीय है |

बारावफात संसार भर में फैले सभी मुस्लिम बंधुओं का प्रमुख पर्व है क्योंकि इसी दिन हज़रात मुहम्मद साहब का अविर्भाव हुआ तथा इसी दिन तिरोधान भी हुआ था | बारावफात को ईद- ए- मिलादुन नबी भी कहते हैं |

हज़रत मुहम्मद साहब का जन्म अरब देश के मक्का नगर में आज से लगभग १४४० वर्ष पूर्व ५७० इ० में हुआ था उनकी माता का नाम अमीना बेगम तथा पिता का नाम अब्दुल्ला था | उनकी माता का अवसान हज़रत मुहम्मद साहब कि छोटी सी उम्र में ही हों गया था इसी कारण उनकी परवरिश उनके चाचा अबुतालिब के घर हुई |वे कुरैशी घराने में पैदा हुए थे | हज़रत मुहम्मद साहब के जन्म के समय अरब देश में भयंकर रक्तपात और झगडे हुआ करते थे| पूरा अरब समाज छोटे बड़े सैकडो कबीलो में बंटा हुआ था | बाल विवाह बहुदेवाद ,मूर्तिपूजा एवं अन्धविश्वास फैले हुए थे| लड़कियां युद्ध और विवाद का कारण बनती थी इसलिए लोग लड़कियों के पैदा होते ही ज़मीन पे जिंदा गाड देते थे | बात बात में खून खराबा हों जाना एक आम सी बात थी| कहा जाता है कि उस समय मक्का में ८०० से अधिक देवी देवताओं की मूर्तियां हुआ करती थी|

इन्ही विकट और भयंकर परिस्थितियों में हज़रत मुहम्मद साहब का जन्म हुआ | वे पहले बकरियाँ चराया करते थे | बड़े होने पे उन्होंने अपने चाचा के साथ  व्यापार करना शुरू किया |धीरे धीरे उनकी ईमानदारी के चलते उनकी ख्याति दूर दूर तक फैल गयी | उनकी शादी धनी महिला जनाब इ खादिजा के साथ हों गयी| वे बचपन से ही गहन चिन्तक में लीन रहा करते थे और सोंचा करते कि किस तरह अरब में फैली बुराईयों को दूर किया जा सकता है ? वे अक्सर मक्का में स्थित “हिरा” नाम की गुफा में जाकर घंटों गहन चिंतन मन में डूब जाया करते थे |उसी क्रम में एक दिन देवदूत जिब्रईल प्रकट हुए और  उस अल्लाह के नाम से जिसने इस सारी दुनिया को बनाया है हज़रत मुहम्मद साहब को दिव्य ज्ञान प्रदान किया , जो कि अल्लाह का दिया हुआ था | उस  दिव्य ज्ञान को प्राप्त करते ही हज़रात मुहम्मद साहब ने इस्लाम धर्म का प्रचार शुरू कर दिया |

प्रारम्भ के दिनों में उन्हें अनेक कठिनाइयों और संघर्षों का सामना करना पड़ा जिसमे कई बार उनके प्राण भी संकट में पड़ जाया करते थे पर उन्होंने हार नहीं मानी | प्रचार प्रसार के इसी क्रम में उनके शत्रुओं कि संख्या भी बढती जा रही थी |लेकिन मदीना में उनकी लोक्रियता अनवरत बढती जा रही थी | एक दिन उनके शत्रुओं ने मक्का में उनको मारने का निश्चय कर लिया लेकिन हज़रत मुहम्मद साहब को उनके विश्वासपात्रों के द्वारा इस बात का पता चल गया और वो अपनी जगह हज़रत अली को सुला के अपने मित्र अबुबकर के साथ रात में ही मदीना चले गए |यह महायात्रा हिजरत कहलाई और इसी समय से हिजरी सन शुरू हुआ |

जब शत्रुओं ने देखा कि बिस्तर पे हज़रत मुहम्मद साहब कि जगह हज़रत अली लेटे हैं तो वो समझ गए कि हज़रत मुहम्मद साहब बच निकले तब शत्रुओं ने उनका  पीछा करना शुरू किया | एक स्थान पे शत्रु बहुत करीब आ गया तो अबुबकर घबरा गए और दोनों एक गुफा में जाकर छिप गए|  यह एक चमत्कार ही था कि उनदोनो के गुफा में जाते ही गुफा द्वार पे मकड़ी ने जाला लगा दिया और कबूतर ने अंडे दे दिए | शत्रुओं ने गुफा द्वार पे मकड़ी के जाले और अंडे देखे तो समझे यहाँ कोई नहीं आया है |

हज़रत मुहम्मद साहब की लोकप्रियता उनकी ईमानदारी और इंसानियत के पैगाम देने के कारण बढती गयी और वो एक के बाद एक शत्रुओं को जीतते गए और जल्द ही मक्का भी जीत लिया | एक मशहूर किस्सा उनके जीवन का है कि एक बुढिया हज़रत मुहम्मद साहब कि राह में क्रोधवश रोजाना कांटे फेका करती थी | एक दिन बीमारी के कारण उसने कांटे नहीं फेंके तो  हज़रत मुहम्मद साहब ने लोगों से पुछा और जब पता लगा कि वो  बुढिया बीमार है तो उसका हाल चाल पूछने उसके  घर गए| वो बुढिया द्रवित को के उनकी अनुयायी बन गयी |

हज़रत मुहम्मद साहब कि लोकप्रियता और इस्लाम धर्म का दायरा बढ़ता गया और उनके अवसान के बाद उनके    उत्तराधिकारियों ने इस काम को जारी रखा और यह धर्म पुर्तगाल, अरब, फ़्रांस ,भारत, इंडोनेशिया ,मलेशिया ,अफ्रीका तक फैल गया | आज लगभग १६० करोड इसके अनुयायी हैं|

एक अल्लाह कि इबादत, सच्चाई ,ईमानदारी,भाईचारा, शांति,महिलाओं की इज्ज़त, इंसानों की आपसी बराबरी इत्यादि इस्लाम धर्म की प्रमुख शिक्षाएं हैं| आज कुछ लोग भले ही इस्लाम के मूल सिधांतों से हट कर इस शांति के धर्म को आतंक का जामा  पहनाकर इसे बदनाम करने पे लगे हैं लेकिन हज़रात मुहम्मद साहब कि महागाथा और सिधांतों के कारण जल्द ही ऐसे लोग बेनकाब होंगे|

वास्तव में हज़रत मुहम्मद साहब एक दिव्य प्रकाश पुंज हैं जिनके अलोक से इस्लामी जगत आज भी जगमगा रहा है.

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लेखक : डॉ दिलीप कुमार सिंह

(न्यायविद, ज्योतिर्विद )

Wednesday, 9 May 2012

जल के लिए युद्ध और कचड़ाघर बनती नदियाँ |—- डॉ. दिलीप कुमार सिंह’


जल के लिए युद्ध और कचड़ाघर बनती नदियाँ |—- डॉ. दिलीप कुमार सिंह’
संपूर्ण पृथ्वी का सबसे अनोखा तत्व  जल है तथा नदियाँ सदैव ही मानव सभ्यता का केंद्र बिंदु रही हैं| मानव ने आदिकाल से ही अमृत तत्त्व कि खोज में अपना अमूल्य समय गंवाया है | जबकि जल ही वास्तविक रूप में अमृत है |
धरती जल कि उपस्थिति से ही परम विचित्र एवं स्रष्टि संपन्न हो सकी है |प्रथ्वी तीन चौथाई जल से ढकी होने के कारण ही अंतरिक्ष से नीली दिखाई देती है |
जल हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के मिश्रण से बना है तथा यह एक गंध हीन रंगहीन स्वाधीन तत्व है जो अशुद्धियों के मिलने के कारण ही खरा या मीठा बन जाता है | प्रथ्वी का संपूर्ण जल वाष्पित हो कर बादल, कोहरा,ओस , बन जाता है जो बाद में वर्षा के रूप में बरस कर नदियों द्वारा सागरों और महासागरों में मिल जाता है | शेष कूप,बावडियों और तालाबों में जमा हो जाता है |

Monday, 7 May 2012

अकल्पनीय और झुलसाने वाली होगी गर्मी की ऋतु |— डॉ दिलीप सिंह


तमाम आंकड़ों एवं विश्लेषणों के बावजूद इस वर्ष सर्दी कि ऋतु २९ फरवरी तक चलती रहेगी | इस वर्ष गर्मी की ऋतु अकल्पनीय रूप से प्रचंड होगी | तथा झुलसा देने वाली गर्मी से लोग  त्राहि त्राहि कर उठेंगे | फ़रवरी के अंत तक ही अधिकतम तापमान जौनपुर वाराणसी सहित तमाम स्थानों पर ३५ डिग्री पार कर लेगा. पर न्यूनतम तापमान १५-१७ डिग्री सेंटीग्रेड के आसपास बना रहेगा |
इस वर्ष भारतीय ज्योतिष में नवरात्री के साथ नववर्ष २३  मार्च से विक्रम संवत २०६९ के साथ शुरू हो रहा है तथा अदभुद रूप से मंत्री और राजा शुक्र है | इस समय बुध ,ब्रहस्पति ,मंगल, शुक्र, शनि चन्द्र के साथ सूर्य कि भ्रमण रेखा पर है | अपनी आकाशगंगा में सूर्य तीव्र वेग से गतिमय होने के कारण भीषण सौर लपटों एवं उग्र विकरण से भरा हुआ है |
५ मार्च से पूरे उत्तरी भारत में गर्मी स्थाई रूप से शुरू हो जाएगी जबकि उत्तेरांचल ,हिमांचल एवं कश्मीर दार्जलिंग एवं पूर्वोत्तर भारत में गर्मी मार्च के अंतिम सप्ताह से शुरू होगी | राजस्थान  के मरुस्थल ,दक्खिन के पत्थर एवं गुजरात काफी गर्म हो जाएंगे | मार्च के अंत में परा ४० डिग्री का स्तर छु लेगा | इस समय तक पाकिस्तान ,अफगानिस्तान, अरब प्रायद्वीप ,सहारा मरुभूमि,में भी गर्मी बढ़ जाएगी |  जबकि ऑस्ट्रेलिया ,न्यूजीलैण्ड, द० अफ्रीका ,चिली, अर्जेंटीना ,आदि में शीत ऋतु शुरू होगी | पूर्वांचल एवं वाराणसी तथा लखनऊ में भी २-३ बार मौसम परिवर्त छिटपुट वर्षा होगी |
अरब प्रायद्वीप रूस द० अमरीका उत्तरी अफ्रीका के देशों में जनविरोध प्रदर्शन और सत्ता पलट होगी | इरान और अमरीका युद्ध के कगार पे पहुँच जाएंगे लेकिन अमरीका को पीछे हटना पड़ेगा | महारष्ट्र ,गोवा ,तमिलनाडु, उत्तेर प्रदेश सहित तमाम जगहों पे व्यापक परिवर्तन होंगे और अनेक बड़े नेता त्यागपत्र देंगे और कई जेल जाएंगे |विधुत दुर्व्यवस्था एवं अराजकता पुलिस का तांडव नियंत्रण रहित होगा | गैस और पेट्रो पदार्थों का दाम मार्च में अवश्य बढ़ेगा |
अप्रैल- मई पूरे भारत के लिए सबसे गर्म और दुखदायी सिद्ध होंगे | अप्रैल के अंत तक भारत में ४५ डिग्री का स्टार पार हो  जाएगा | जौनपुर, वाराणसी,सुल्तानपुर,इलाहबाद ,सोनभद्र आदि में कुछ जगहों पे यह तापमान ४५-५० डिग्री सेन्टीग्रेड के स्तर को छु लेगा |दर्जनों छोटी बड़ी आँधियों ४ बड़े तूफ़ान एवं चक्रवात और २ बड़े भूकंप जनमानस को हिला कर रेख देंगे |
भारत में मानसून ३१ मई से ३ जून के बीच उठेगा जो १० से १५ तक महाराष्ट्र गोवा तथा १५-२५ जून तक उत्तर प्रदेश , गुजरात, मध्यप्रदेश ,पूर्वोत्टर भारत, छतीसगढ़, बंगाल बिहार तक तथा २५ जून से ५ जुलाई तक पंजाब ,कश्मीर होता हुआ पाकिस्तान पहुँच जाएगा | भीषण वर्षा के बावजूद उमस एवं गर्मी सितम्बर २०१२ तक चलती रहेगी |
Dr. Dileep Kumar Singh